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Writer's pictureAdv. Adil Khan

छिन्दवाड़ा में भेड़िया नहीं सियार से हुआ था महिलाओं का संघर्ष, मामले में गहन जांच की आवश्यकता


08 नवंबर की दोपहर से मध्यप्रदेश के बड़े समाचार पत्रों में आनलाइन खबरें प्रकाशित कर यह बताया गया है कि छिन्दवाड़ा में भेड़िए ने खेत पर काम कर रही दो महिलाओं पर हमला कर‌ दिया था जिससे महिलाएँ काफी देर तक संघर्ष करती रहीं बाद में अन्य एक महिला द्वारा वन्यप्राणी को मारकर अपनी जान बचाई गई।


निश्चित ही जब बात वन्यप्राणियों और मनुष्यों के बीच के संघर्ष की होती है तब मामला भी संवेदनशील बन जाता है। ऐसे में आज के डिजिटल युग में खबरें जल्दी प्रकाशित करने की होड़ में अनेक बार गलत जानकारियों के साथ खबरें प्रकाशित कर दी जाती है। ऐसा ही एक बड़ा मामला आज मध्यप्रदेश के छिन्दवाड़ा जिले के सिंगोड़ी के पास खकरा चौरई गांव का है। जहां दोपहर के समय खेत में काम कर रही महिलाओं पर सियार (Golden Jackal) ने हमला कर‌ दिया था जिसके बाद महिलाओं ने सियार को मार दिया। परंतु जल्दीबाजी में समाचार लिखने वाले पत्रकारों के द्वारा सियार को बिना किसी अधिकारिक पुष्टि के भेड़िया बताकर खबरें प्रकाशित कर दी गई एक ग़लत ख़बर चलने के बाद दर्जनों जगह सियार को भेड़िया बताकर ख़बरें प्रकाशित की गई। इस तरह की खबरें निश्चित ही मध्यप्रदेश में भेड़िए जैसे महत्वपूर्ण और‌ विलुप्त होते वन्यप्राणियों के संरक्षण में बाधाएं उत्पन्न करेंगी।



उत्तर प्रदेश के बहराइच क्षेत्र में हालही में भेड़ियों के झुंड के माध्यम से मनुष्यों पर किए गए हमलों के बाद वहां की राज्य सरकार ने भेड़ियों को पकड़वाया था। उस समय मीडिया के माध्यम से यह मामला घर घर तक पहुंच गया जिसके बाद लोगों में भेड़ियों को लेकर डर और भ्रामक जानकारी होने में बड़ा उछाल आया है। जबकि सभी वन्यप्राणी एक से नहीं होते हैं और उनके बर्ताव के पिछे उनके आसपास मौजूद भौगौलिक स्थितियां बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जहां रहने और भोजन की उपलब्धता में कमी होती है वैसी जगह भेड़ियों का रवैया अलग होता है परंतु जहां रहने के‌ लिए पर्याप्त सुरक्षित स्थान उपलब्ध होते हैं और पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक भोजन भेड़ियों के लिए उपलब्ध होता है वहां उनका बर्ताव बेहद सामान्य होता है। यही कारण है की पिछले अनेक दशकों में मात्र हालही में हुआ उत्तर प्रदेश में भेड़ियों द्वारा मनुष्यों पर हमला करने का बड़ा मामला सामने आया है। जिस पर अभी अनुसंधान (रिसर्च) करने की भी आवश्यकता है।


वन विभाग की सक्रियता भी आवश्यक


अंततः यह बात बेहद महत्वपूर्ण है की वन्यप्राणियों द्वारा मनुष्यों पर हमला करने या मानव वन्यप्राणियों के बीच होने वाले संघर्ष को लेकर वन विभाग मध्यप्रदेश शासन के अधिकारियों को घटना का अन्वेषण कर प्राथमिक जानकारी के साथ शीघ्र ही प्रेस नोट घटना के बाद जारी कर दिया जाना चाहिए या कम से कम वन्यप्राणी किस प्रजाति का है यह स्पष्ट कर दिया जाएं जिससे की लोगों के बीच स्पष्टता आ सकें।


वन्यजीवों के हिंसक होने की जाँच भी आवश्यक


मनुष्य-वन्यप्राणी के बीच होने वाले संघर्ष के ऐसे मामलों में जहां वन्यप्राणी की हत्या कर दी जाती है वहां वन विभाग को पशु-चिकित्सकों द्वारा वन्यप्राणी का पोस्टमार्टम करवाकर यह जांच करवाई जाना चाहिए की वन्यप्राणी किसी बिमारी जैसे (रेबीज़) इत्यादि से ग्रसीत तो नहीं था या वन विभाग को ऐसे पहलुओं की ज़मीनी स्तर पर जांच करना चाहिए जिनसे की इस तरह के हमलों के पिछे की सही वजह सामने आएं, शासन को संस्थाओं द्वारा ऐसे पहलुओं पर भी जांच करने की आवश्यकता है की कहीं मनुष्य द्वारा वन्यप्राणियों के रहवास में किए जा रहे हस्तक्षेप की वजह से वन्यप्राणियों पर आने वाले तनाव उनके हिंसक रवैए के पिछे जिम्मेदार तो नहीं है।


सियार कहलाता है किसान मित्र!

वहीं यह भी जानना आवश्यक है कि सियार एक बेहद सामान्य वन्यप्राणी है जो आकार में लगभग कुत्ते जितना भी नहीं होता है। यह जानवर मनुष्यों के आसपास ही रहते हैं और खेतों में घूमने वाले खरगोश, चूहे, कीटों, सरीसृपों इत्यादि छोटे जीवों का भोजन करते हैं और उनकी संख्या को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे की किसान की फसलों को बहुत फायदा पहुंचता है और पारिस्थितिक तंत्र भी स्वस्थ बना रहता है।

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